मेरा साया...
मेरे साए से तू लिपटी यूँ
जैसे कुम्हार के हाथ मिटटी लिए
की साँसे बन गयी एक
दो दिल जब मिला जो लिए
मेरे साए से यूँ लिपटी तू
जैसे बाती को समेटे दीये
की जाम हो गए एक
दो अधर ऐसे मिला जो दिए
मेरे साए से तू लिपटी यूँ
जैसे पत्ती का दामन ओस लिए
की मंजिलें बन गयी एक
दो रस्ते मिला जो ऐसे लिए
मेरे साए से यूँ लिपटी तू
जैसे भुजंग संदल से लपटे जिए
की धड़कने हो गयी एक
दो जीवन संग हमने यूँ जिए
मेरे साए से तू लिपटी यूँ
मेरे साए से यूँ लिपटी तू
लव